क्यों महंगी होती जा रही है हरी मिर्च ?

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बीते कुछ महीनों में हरी मिर्च जैसे बाजार से गायब ही हो गई है। पहले सब्जी विक्रेता सब्जी खरीदने पर फ्री में 8 या 10 मिर्च साथ में दे देता था लेकिन अब हालात यह है कि 8 या 10 मिर्च 10 रुपए का दे रहे है । शायद यह पहली बार है जब मिर्च के बाजार में इतनी तेजी देखी जा रही है। इससे मिर्च उपभोक्ता को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । मिर्च की फसल पर अजीब तरह के कीटो का हमला होने से उसे  भारी नुकसान हुआ है । कीटों के जांच पड़ताल करने उसे पहचाने और उससे पैदा होने वाली मुश्किलों का समाधान तलाश रहे कृषि वैज्ञानिक जब तक की कुछ समझ पाते उससे पहले ही खड़ी खेतो में मिर्च की  80 प्रतिशत फसल चौपट हो चुकी थी । मिर्च उत्पादन में 55 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की है जहां भारी नुकसान हुआ है । 

कहां से आया है यह कीट ? 

कृषि मंत्रालय ने माना है की मिर्च की फसल पर जी कीटों का हमला हुआ है । वे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से आए है। आश्चर्य की बात यह है थ्रिप्स नामक इन कीटों पर कीटनाशकों का भी कोई असर नहीं हुआ है। लिहाजा इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के वैज्ञानिकों के साथ प्लांट , प्रोटेक्शन, क्वारेंटाइन एंड स्टोरेज और कृषि वैज्ञानिकों की कई टीमें मौके पर दौड़ाई गई । हालांकि निदान, जांच और इलाज शुरू होते होते मिर्च में नाजुक फसलें सूख गई। 

अर्थव्यवस्था पर असर _ 

लाल मिर्च का उत्पादन घटने के अनुमान से देश के मसाला बाजार में कीमतों में भारी उछाल आया। गुंटूर की मंडी में सूखी लाल मिर्च का भाव वर्ष 2021 के मार्च के अंतिम सप्ताह में जहां 9500 प्रति कुंतल था वह वर्ष 2022 की उसी अवधि में बढ़कर 17000 रुपए प्रति पहुंच गया । राजस्थान के जोधपुर में पिछले साल 120 हजार रूपए प्रति कुंतल वाली सूखी लाल मिर्च इस बार 21 हजार रूपए तक पहुंच गई है। जबकि पिछले साल के मुकाबले 30 से 40 प्रतिशन उत्पादन बढ़ा है । लाल मिर्च का निर्यात बाजार भी है , जो प्रभावित हो सकता है।

क्या कहते है विशेषज्ञ ?

आईसीएआर के निदेशक Dr टी महापात्र के अनुसार , कीटों को हटाने के लिए किसानों ने कीटनाशी का अंधाधुंध प्रयोग किया जिससे फसल को दोहरा नुकसान हुआ। इस तरह के कीटों के बचाव में फसलों के आसपास कुछ प्राकृतिक कीट होते  है लेकिन इस बार मिर्च पर लगे थ्रिप्स कीटनाशकों के विरुद्ध वे प्रभावकारी नहीं हुए । कीटों की रोकथाम के लिए विज्ञानियों की तीन टीमे मौके का दौरा कर उससे निपटने का उपाय तलाश रही है । 

कब तक रहेगी समस्या _ 

घरेलू बाजारों में लाल मिर्च की यह तेजी अगले फसल आने तक बनी रह सकती है। देश में मिर्च की मुख्य खेती जून से अक्टूबर के बीच होती है जबकि अल्पकालिक फसलें जाड़े के मौसम वाली फसल सितंबर और अक्टूबर में लगती है और गर्मी के फसल फरवरी से मार्च में लगाई जाती है । तेलंगाना मिर्च उत्पादन में हिस्सेदारी एक तिहाई है इसके बाद आंध्रप्रदेश का जहा एक चौथाई उत्पादन होता है। इसके बाद अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र , कर्नाटक , ओडिसा , मध्य प्रदेश और राजस्थान प्रमुख उत्पादक राज्य है।



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