सुपर मॉम बाघिन की जीवन यात्रा



  सुपर मॉम बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ । शुरुआती 10 वर्षों में और बाद के 7 वर्षों में 19 शावको को जन्म दिया । इसे पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क का धरोहर माना जाता था । यह बुंदेलखंड अर्थात मध्य प्रदेश के विख्यात पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क  में रहती थी। 17 वर्षों में 29 शावको को जन्म देने के कारण इसे ’ सुपर मॉम बाघिन ’ कहा जाता था। जो की एक कीर्तिमान है। यहां आने वाले पर्यटको के लिए यह आकर्षण का केंद्र थी। बाघों की संख्या बढ़ाने तथा मध्य प्रदेश को  टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में इसकी महत्पूर्ण भूमिका थी। टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2008 में इस बाघिन को रेडियो कॉलर आईडी पहनाकर टी 15 नाम दिया गया । जिसके कारण इसे कोलार वाली बाघिन भी कहा जाता था। बीते 15 जनवरी को इसका शव मिला इसके दो दिन पहले स्वाभाविक रूप से मृत्यु हो गई थी। इसका अंतिम संस्कार एक आदिवासी महिला शांता बाई ने किया। शांता बाई एक यहां की चर्चित महिला है जिन्होंने अपने गांव  कर्मझिरी में शराब पाबंदी और अवैध जानवरो की शिकार पर पाबंदी में काफी मदद की थी।

सुपर मॉम विशेष _ आमतौर पर दूसरे शावक 50 फ़ीसदी जिंदा रहते है लेकिन सुपर मॉम के शावक की जीवन दर 80 फीसदी तक रही उसके 29 शावको में अभी भी 23 जिंदा है। 


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